हमारा शरीर हमारा हक़

आमने-सामने
by गौतम भान / Ref गौतम भान
यह लेख जैविक लिंग से अलग होकर लोगों को अपनी लैंगिक पहचान चुनने की आज़ादी के अधिकार के पक्ष में लिखा गया है। इस लेख में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि खुद के आलावा कोई भी अन्य व्यक्ति या संस्थान विशेषकर कानून या चिकित्सा शास्त्र को यह तय करने का अधिकार नहीं है कि किसी व्यक्ति की लैंगिक पहचान क्या है। नाही इस बात का उस व्यक्ति के गुणसूत्रों, हारमोन और शारीरिक बनावट से कोई लेना-देना है।
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Jagori
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