गौरा देवी

by सुनीता ठाकुर / Ref सुनीता ठाकुर
"...जंगल बचेगा तो हम रहेंगे, हम सब एक होंगे तो जंगल बचेगा, जंगल हमारा रोज़गार है, मायका है, ज़िन्दगी है।..." ये शब्द हैं गांव की एक कर्मठ व अनपढ़ महिला, गौरा देवी के जिन्होंने अपने जंगलों की रक्षा के लिए गांव की सभी महिलाओं को एकजुट किया। पढ़िए 'चिपको' आंदोलन से जुड़ी गौरा देवी की जीवनी जिनका नाम सम्पूर्ण विश्व के महिला आंदोलनकारी सदा आदर के साथ लेते रहेंगे।
Editor Translator Photographer Publisher
Jagori
Page count Languages Volume Compiler
3