दीवारों नहीं बोलते

by सुहास कुमार / Ref सुहास कुमार
" अगर दीवारे बोल सकती तो बताती कि घर में भी औरतो को क्या नहीं सहना पड़ता हैं । लड़की या पत्नी होने के नाते , उनका अपना कोई समय नहीं । घर, संपत्ति उनकी अपनी नहीं । अपनी कमाई पर भी उनका अधिकार न के बराबर होता हैं । उनका शोषण , दमन और अवहेलना होती हैं यौन हिंसा की भी जब- तब वे शिकार होती रहती हैं । " आगे पढ़िए...
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