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सम्मान जनित हत्याओं की रिपोर्टिंग

by राजश्री दासगुप्ता
इस लेख में 'सम्मान जनित हत्याओं' से जुड़े मीडिया रिपोटिंग में भ्रमित व सनसनीखेज़ भाषा के इस्तेमाल और वास्तविकता व संवेदनशीलता के अभाव पर चिंता व्यक्त की गई है। ज़्यादातर क्षेत्रीय पत्रकारों को पुलिस सूत्रों से जानकारी मिलती है और आर्थिक साधनों की कमी के चलते वे पुलिस द्वारा दिए गए विवरण को बिना किसी छानबीन शब्द दर शब्द छाप देते हैं। ज़ाहिर है कि इन खबरों का रुख 'नैतिकवादी' होता है। अंग्रेजी प्रेस भी 'सम्मान हत्या' शब्द के उपयोग में चयनात्मक प्रतीत होती है- जहाँ ग्रामीण समुदाय में होने वाले अपराधों के लिए इसका उपयोग उदारता से किया जाता है वही अक्सर शहरी माहौल में होने वाले ऐसे कत्लों को बतौर 'सम्मान' जनित हत्या प्रस्तुत नहीं किया जाता।

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