मुग़ल शहज़ादी- जहांआरा और जेब-उन-निसा

by रज़ा रूमी / Ref रज़ा रूमी
"इस पितृसत्तात्मक समाज में औरतें यदा-कदा ही सत्ता और राजनीती के उच्च पदों पर आसीन हुई हैं।" ऐसी ही कहानी है शाहजहां की बेटी जहाँआरा की जो लगभग आधी सदी गुमनाम रहने के बाद मुग़ल दरबार में सत्ता के केंद्र में नज़र आई। अपने दौर में उन्होंने कला और साहित्य को बहुत बढ़ावा दिया। औरंगज़ेब की बेटी जेब-उन-निसा भी एक कला प्रेमी, शायरा और रचनात्मक तबियत वाली महिला थीं जिन्होंने अपने फिरकापरस्त पिता के धर्म और समाज से जुड़ी पारम्परिक सोच को अपनी कलम के माध्यम से लगातार चुनौती दी।
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Jagori
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