न जाने मैं कौन सी मिट्टी की बनी हूँ- होमाइ व्यारावाला

by श्रेया- निमिषा / Ref श्रेया- निमिषा
"यह उस समय की बात है जब कैमरे के वज़न, उसके टंगस्टन बल्ब और उसकी कारीगरी में इंसान फंस जाता था। एक बटन और फ़ोटो हज़ार वाली तकनीक कल्पना के बाहर थी।" उस वक्त स्वतंत्रता संग्राम का जोश पूरे भारत में फैला हुआ था और ऐसे माहौल का ऐतिहासिक दस्तावेज़ीकरण करने वाली एकमात्र महिला छायाकार थीं- होमाइ व्यारावाला।
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Jagori
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