आजीविका के लिए आवाज़

by शशि भूषन पंडित / Ref शशि भूषन पंडित
यह लेख दिल्ली में ठोस कचरा प्रबंधन की समस्या पर आधारित है। औपचारिक व्यवस्था के साथ-साथ परम्परागत तरीके से कचरा प्रबंधन के काम में असंगठित क्षेत्र के मज़दूर भी जुड़े हैं। परन्तु औपचारिक व्यवस्था के निजीकरण के चलते असंगठिक क्षेत्र के कामगारों की आजीविका पर ठेस पहुंची है। इस लेख में शहरी कचरे के संग्रह, छंटाई, पुनर्चक्रण, ढुलाई, बिक्री और निस्तारण की संभावित वैकल्पिक व्यवस्था के लिए मज़्दूरों द्वारा प्रस्तावित एक व्यवस्थागत मॉडल प्रस्तुत किया गया है।
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Jagori
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