आलो आंधारी

पुस्तक परिचय
by माधवी मेनन / Ref माधवी मेनन
प्रस्तुत है बेबी हालदार की आत्मकथा 'आलो आंधारी' (अँधेरे से उजाले की ओर) की समीक्षा। बेबी हालदार एक घरेलू कामगार हैं जिन्होंने आजीवन गरीबी, हिंसा व अन्य कठिनाइयों का सामना किया और बहुत संघर्ष करने के बाद आखिरकार एक लेखिका के रूप में खुद के लिए जगह बनाने में कामयाब हुई। मूल रूप से बंगाली में लिखी गई यह आत्म-जीवनी पहले हिंदी में प्रकाशित हुई। कुछ सालों बाद उर्वशी बुटालिा द्वारा अंग्रेजी में अनूदित 'अ लाइफ लेस्स ऑर्डिनरी' नाम से प्रकाशित हुई। इसके उपरांत इस पुस्तक का अनेक भारतीय व विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
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Jagori
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2