क्यों होती है 'ईव-टीज़िंग'?

आमने-सामने
by सुनीता ठाकुर / Ref सुनीता ठाकुर
प्रस्तुत लेख में इस बात पर ज़ोर दिया गया है की यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए केवल कानून का मौजूद होना ही काफी नहीं है बल्कि सामजिक तौर पर ऐसी हरकतों को नकारने की आवश्यकता है। यौन हिंसा जैसे घोर अपराधों को 'छेड़छाड़' कहकर टालने के रवैये को बदलना होगा। साथ ही पुलिस तंत्र को भी संवेदनशील बनाना अत्यंत ज़रूरी है।
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Jagori
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