शीला का सहस

by रचना तिवारी / Ref रचना तिवारी
शीला ने अपने कोशिश व आत्मविश्वास के बलबूते अपनी पढाई पूरी की और नौकरी करने लगी। वक्त आने पर जब उसके भाईओं ने अपने माता-पिता का साथ छोड़ा तो वह उनकी आर्थिक संबल भी बानी। ऐसा कर उसने अपने पिता के भ्रम को तोड़ यह साबित किया कि बेटे और बेटी में कोई अंतर नहीं है।
Editor Translator Photographer Publisher
Jagori
Page count Languages Volume Compiler
2