औरत अकेली भी जी सकती हैं ।

by वीणा शिवपुरी / Ref वीणा शिवपुरी
"कोई चोरी चकारी , धर्म-कर्म या मर्दो कि लड़ाई हो तो पंच बीच में पड़ते हैं । जाति और समाज बीच में बोलता हैं । जब किसी औरत पर अत्याचार हो तो सबको सांप सूंघ जाता हैं । हर कोई उसे घरेलु मामला कह कर छोड़ देता हैं । जब पति और परिवार रक्षक के बदले भक्षक बन जाए तब भी कोई कुछ नहीं बोलता । यही कारण हैं कि आज भी लाखों औरतें घर के भीतर मारी जा रही हैं ।" आगे पढ़िए...
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