यौनिक हिंसा सरकार और समाज का रवैया

by मीता राधाकृष्णा / Ref मीता राधाकृष्णा
" क्या हम इस "इज़्ज़त" की परिभाषा नहीं बदल सकते । अगर हमें यौनिक हिंसा पर अपना नजरिया बदल लें और मान लें कि बलात्कार भी किसी और हिंसा कि तरह हैं , तो हमें यौनिक हिंसा से डर के साए तले नहीं जीना होगा । साथ ही इस पितृसत्तामक ढांचे को चोट पहुंचेगी । यह मानने पर कि बलात्कार हम पर होने वाली तमाम हिंसा में सी एक हैं, हम इज़्ज़त को छोड़कर पूरे समाझ को बदलने कि कोशिश करेंगे । " आगे पढ़िए...
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