ज़ंजीरो को तोड़ कर

by जूही जैन सबला अगस्त / Ref जूही जैन सबला अगस्त
"आंख खुली जद शुभ दिन आयो घर-घर जाय सबने जगासू बाल- विवाह को बंद करवासू पोथी-पाटी हाथ थमासू झांसी-दुर्गा याद दिलासू सबला बन जीना सिखलासू औारत को उसकी पहचान करासू "
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