अनदेखी मेहनत का हवन कुंड

by 'समता' कला जथा / Ref 'समता' कला जथा
आँखें हैं तो आधी रात बंद होने के लिए बंद होंठ लगते हैं मौन जख्म लिए हुए चले थे जहां वाही खड़े हैं हज़ारों खदम चलने के बाद अनदेखी मेहनत के हवन - कुंड में उनके जल रहे हैं दिन - रात
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