हमारी बात

by जूही / Ref जूही
" आप और हम जैसी न जाने कितनी ही बहनो ने इसमें हिस्सा लिया और अपने- अपने खट्टे- मीठे अनुभव बांटे । पर हमारा काम यही ख़त्म नहीं हो जाता । जब हम इस दुनिया से निकल पर वापस समाज में आती हैं , तब शुरू होता हैं हमारा असली संदर्श । इस समाज में अपनी बात लोगो के सामने रखना , अपनी पहचान बनाना , अपने हको के लिए जूझना , यही तो हैं असली जागरूकता । " आगे पढ़िए...
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