औरतो के साथ बिना हर संदर्श अधूरा हैं

by कमला भसीन / Ref कमला भसीन
" पर औरते सिर्फ औरत ही तो नहीं हैं, उनकी और भी कई पहचान हैं , जैसे व देश की नागरिक हैं, किसी खास धर्म या जाति की सदस्य हैं, किसी खास वर्ग की हैं । वे किसान या मज़दूर भी हो सकती हैं । वे दस्तकार या मछियारा हो सकती हैं और होती हैं । देश की नागरिक व समाज की सदस्य होने के नाते समाज की हर समस्या उनकी भी समस्या हैं । ... शांति, पर्यावरण , प्रजातंत्र , स्त्री- पुरुष समानता , आथिक व सामाजिक न्याय के लिए आज भी संदर्श ज़रूरी हैं , शायद पहले से भी ज़्यादा ज़रूरी । " आगे पढ़िए ...
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