दूध का क़र्ज़

by वीणा शिवपुरी / Ref वीणा शिवपुरी
“ कल जब तू दुल्हन को लेकर दरवाज़े पर आऐगा, मैँ तुम दोनों की आरती उतरूंगी । तुम्हे खुश रहने का आशीवार्द दूंगी । तू मुझसे दूध की कीमत पूछेगा । न मैँ सोने के कंगन मांगूंगी, न दुल्हन के गले का हार । बेटा, मैँ तो तुझे अपना कर्ज़दार मानती नहीं अगर अपनी मां को कुछ देना ही चाहता हैं तो एक वचन दे तेरी दुल्हन के साथ वो सब न हो जो मेरी मां के साथ हुआ । ... एक इंसान के रूप मेँ एक दूसरे की बढ़ोतरी मेँ सहयोगी बनो । " आगे पढ़िए...
Editor Translator Photographer Publisher
Sevagarm Viikas Sansthan
Page count Languages Volume Compiler
2