धर्म की तलवार

by वीणा शिवपुरी / Ref वीणा शिवपुरी
" अब सवाल यह हैं कि हमे शिकायत धर्म के होने से हैं या उसके स्त्री - विरोधी स्वरूप से । अगर होने को हम रोक नहीं सकते, अगर ज़्यादातर औरतें उसकी महसूस करती हैं, तो हम उसे बदलने की कोशिश क्यों नहीं करते । आखिर सभी धर्म वक्त के साथ बदलते रहे हैं तो आज बीसवीं सदी में ये वक्त की ज़रुरत के अनुसार क्यों नहीं बदल सकते । " आगे पढ़िए..
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