ज़माना बदल गया

by साभार - शकुंतला सरन साक्षरता / Ref साभार - शकुंतला सरन साक्षरता
"दादी ने कहा - " बेटी , यह पछतावे के आंसू हैं और ख़ुशी के भी । मेरी ही आंखों के सामने ज़माना कितना बदल गया । मेँ देख रही हूं बेटी भी वही सब कुछ कर सकती हैं जो बेटा करता हैं । " आगे पढ़िए...
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