ज़िन्दगी का एक घिनोना रूप

by संतोष बजाज / Ref संतोष बजाज
" गावो से भागकर आए परिवार शहरी झोपड़पट्टियों में रहते हैं । यहां न खुली छूप हैं, न हवा , चारो ओर घिनकी आबादी , गंदगी ओर सीलन । गावो का खुला आकाश, दिन में सूरज , रात में चांद और तारे इन झोपड़पट्टियों में रहने वालो को नसीद नहीं । लेखिन रोज़गार यही बड़ा सवाल हैं । " आगे पढ़िए...
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