बेड़ियों को तोड़ती किशोरियां

by जुही जैन / Ref जुही जैन
देश के आज़ाद होने के छह दशक बाद समाज में रीति-रिवाज़ों और धर्म के नाम पर स्त्री-पुरुष के बीच असमानताएं आज भी विद्यमान हैं। हालात बेहतर हुए हैं- आगे भी होंगे, इसी विश्वास के साथ तिरुपुर की सुमंगलियां, भरतपुर के यौन कर्मियों की बेटियां और सतारा की नकुषायें अपने छोटे-छोटे रोज़मर्रा के संघर्षों से बदलाव ला रही हैं। आगे पढ़िए...
Editor Translator Photographer Publisher
Jagori
Page count Languages Volume Compiler
4